पटना से पूर्णिया तक बनने वाला Patna-Purnia Expressway अब आधिकारिक तौर पर नेशनल एक्सप्रेसवे-9 (NE-9) घोषित हो चुका है। केंद्र सरकार के सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने इसे राष्ट्रीय एक्सप्रेस-वे का दर्जा दिया है। यह बिहार का पहला ऐसा हाई-स्पीड एक्सप्रेस-वे होगा जो पूरी तरह से राज्य की सीमाओं के भीतर ही बनेगा।
इस प्रोजेक्ट को बिहार के लिए गेमचेंजर माना जा रहा है, क्योंकि इसके पूरा होने के बाद पूर्णिया से पटना तक सड़क यात्रा केवल तीन घंटे में पूरी की जा सकेगी। अभी इस सफर में 6 से 8 घंटे लग जाते हैं।
इस एक्सप्रेस-वे की सबसे बड़ी खासियत यह होगी कि इसे बिहार के कई प्रमुख जिला मुख्यालयों से जोड़ा जाएगा। समस्तीपुर, सहरसा और मधेपुरा को कनेक्ट करने के लिए अलग से संपर्क मार्ग (connecting road) तैयार किया जाएगा।
बिहार सरकार ने कुछ ही दिनों पहले इस 6 लेन ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे को मंजूरी दी थी। इसके बाद भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के आग्रह पर बिहार के मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा ने औपचारिक सहमति दी। अब राज्य सरकार ने केंद्र से आग्रह किया है कि वह जल्द टेंडर जारी करे ताकि इस साल निर्माण कार्य शुरू हो सके।
पटना-पूर्णिया एक्सप्रेस-वे का निर्माण Hybrid Annuity Model (HAM) के तहत होगा। इसके तहत:
निर्माण एजेंसी कुल लागत का 60 प्रतिशत खुद खर्च करेगी।
केंद्र सरकार 40 प्रतिशत राशि वहन करेगी।
निर्माण एजेंसी को टोल प्लाजा से लागत की भरपाई मिलेगी।
एजेंसी 15 साल तक एक्सप्रेस-वे की देखरेख करेगी।
यह मॉडल बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के लिए कारगर माना जाता है क्योंकि इसमें सरकारी बोझ कम होता है और निजी भागीदारी सुनिश्चित रहती है।
यह एक्सप्रेस-वे वैशाली जिले के मीरनगर अराजी गांव (NH-22, सराय टोल प्लाजा के पास) से शुरू होगा और समस्तीपुर, दरभंगा, सहरसा और मधेपुरा होते हुए पूर्णिया जिले के हंसदाह (NH-27, चांद भट्ठी के पास) तक पहुंचेगा।
इसके अलावा, दिघवारा-शेरपुर के बीच पुल बनने के बाद यह सड़क Bihta Airport तक जुड़ जाएगी। हाजीपुर के सराय और जेपी सेतु से भी इसका सीधा कनेक्शन होगा। साथ ही, पटना रिंग रोड के हिस्से दिघवारा को भी इस एक्सप्रेस-वे से जोड़ा जाएगा।
इस विशाल प्रोजेक्ट को तीन अलग-अलग पैकेज में बांटा जाएगा ताकि निर्माण कार्य तेजी से पूरा हो सके। इससे अलग-अलग एजेंसियां एक साथ काम कर पाएंगी और देरी की संभावना कम होगी।
यह एक्सप्रेस-वे बिहार की अर्थव्यवस्था के लिए वरदान साबित हो सकता है। सड़क मार्ग तेज़ होने से लॉजिस्टिक्स और ट्रांसपोर्टेशन सस्ता होगा। किसानों और छोटे व्यापारियों को पटना जैसे बड़े बाजारों तक आसानी से पहुंचने का मौका मिलेगा।
शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच भी बेहतर होगी। पूर्वी बिहार के लोग अब महज तीन घंटे में पटना पहुंच पाएंगे।
बिहार लंबे समय से निवेश और उद्योगों की कमी से जूझ रहा है। इसका एक बड़ा कारण सड़क और कनेक्टिविटी की दिक्कत रही है। NE-9 बनने से फ्रेट मूवमेंट आसान होगा और उद्योगों को मजबूती मिलेगी।
इससे warehousing, logistics hubs और cold storage जैसे प्रोजेक्ट्स को भी बढ़ावा मिलेगा। निवेशकों के लिए बिहार अब और आकर्षक गंतव्य बन सकता है।
एक्सप्रेस-वे के किनारे फूड कोर्ट, पेट्रोल पंप, रेस्ट एरिया और मेडिकल सुविधाएं विकसित की जाएंगी। इससे यात्रियों को आधुनिक अनुभव मिलेगा और स्थानीय स्तर पर रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।
हालांकि यह प्रोजेक्ट महत्वाकांक्षी है, लेकिन चुनौतियां भी बड़ी हैं। घनी आबादी वाले क्षेत्रों में land acquisition मुश्किल हो सकता है। साथ ही, निर्माण में देरी और पर्यावरणीय प्रभाव को लेकर भी सवाल उठ सकते हैं।
फिर भी सरकार का लक्ष्य है कि इसे तय समय सीमा में पूरा किया जाए।
पटना-पूर्णिया एक्सप्रेस-वे को राष्ट्रीय दर्जा मिलना बिहार के लिए ऐतिहासिक कदम है। यह न सिर्फ यात्रा समय घटाएगा बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था, व्यापार और निवेश को भी नई दिशा देगा।
अगर यह प्रोजेक्ट समय पर पूरा होता है तो बिहार की सूरत बदल सकती है और यह एक्सप्रेस-वे सचमुच राज्य का Gamechanger Project साबित होगा।
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