KKN गुरुग्राम डेस्क | 70वीं बीपीएससी (बिहार पब्लिक सर्विस कमीशन) की प्रारंभिक परीक्षा को दोबारा कराए जाने की याचिका पर पटना हाईकोर्ट में आज (4 फरवरी 2025) सुनवाई फिर से टल गई। जानकारी के अनुसार, सुनवाई के लिए जज के न बैठने के कारण यह सुनवाई अब अगले समय के लिए स्थगित कर दी गई है। इस याचिका में बीपीएससी की परीक्षा को रद्द कराकर फिर से परीक्षा आयोजित करने की मांग की गई थी, जिसे लेकर पटना हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी।
70वीं बीपीएससी परीक्षा के परिणामों के बाद से बीपीएससी अभ्यर्थियों ने कई गंभीर आरोप लगाए हैं, जिनमें धांधली और घोटाले के आरोप प्रमुख हैं। याचिका में बीपीएससी द्वारा परीक्षा के दौरान प्रश्नपत्रों में गड़बड़ी, उत्तर कुंजी में दोष, और पुलिस द्वारा दबाव डालने जैसे आरोप लगाए गए हैं। उम्मीदवारों ने यह आरोप भी लगाया कि कुछ छात्रों को नियमों के उल्लंघन के बावजूद बढ़त देने के लिए गलत तरीके से सहायता की गई थी।
याचिका में इस परीक्षा को लेकर कई गंभीर सवाल उठाए गए हैं, जिनमें प्रमुख हैं:
पटना हाईकोर्ट में 31 जनवरी को होने वाली सुनवाई पहले ही बेंच के न बैठने के कारण टल गई थी। इसके बाद 4 फरवरी को एक बार फिर से इस मामले की सुनवाई होनी थी, लेकिन जज के अनुपस्थित होने के कारण यह सुनवाई एक बार फिर स्थगित कर दी गई। इससे बीपीएससी के अभ्यर्थी और संबंधित पक्ष काफी निराश हुए, क्योंकि वे इस महत्वपूर्ण सुनवाई का इंतजार कर रहे थे, ताकि मामले में आगे की कार्रवाई का मार्गदर्शन प्राप्त किया जा सके।
अंततः, अब यह देखना होगा कि पटना हाईकोर्ट इस मामले में आगे किस दिशा में कदम उठाता है, और क्या बीपीएससी को अपनी पीटी परीक्षा को रद्द कर फिर से आयोजित करने का आदेश दिया जाता है।
बीपीएससी परीक्षा बिहार राज्य में सरकारी नौकरियों के लिए सबसे महत्वपूर्ण और प्रतिस्पर्धी परीक्षा मानी जाती है। 70वीं बीपीएससी पीटी परीक्षा में हजारों उम्मीदवारों ने भाग लिया था, और कई उम्मीदवारों ने आरोप लगाया कि परीक्षा के दौरान कुछ गंभीर समस्याएं आईं, जिनके कारण उनकी मेहनत पर प्रश्न उठने लगे।
बीपीएससी के लिए बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों ने वर्षों तक कठिन परिश्रम किया था, और अब परीक्षा के परिणाम पर उठे विवादों के कारण उनकी मेहनत पर पानी फिरने की आशंका पैदा हो गई है। यह न केवल उन अभ्यर्थियों के लिए एक व्यक्तिगत मुद्दा है, बल्कि यह बिहार के शासनिक प्रक्रिया और परीक्षाओं की पारदर्शिता पर भी गंभीर सवाल उठाता है।
यद्यपि पटना हाईकोर्ट में सुनवाई स्थगित हो गई, यह संभव है कि नई तारीख पर सुनवाई शुरू हो, जिससे मामले का हल निकाला जा सके। इसके बाद, अगर बीपीएससी पर आरोप सिद्ध होते हैं, तो पटना हाईकोर्ट की निर्णायक कार्रवाई से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि परीक्षा में पारदर्शिता और न्यायपूर्ण प्रक्रिया को बरकरार रखा जाए।
यदि अदालत पुनः परीक्षा कराने का आदेश देती है, तो बीपीएससी को अपनी प्रारंभिक परीक्षा को रद्द करने और नए सिरे से परीक्षा आयोजित करने के लिए कदम उठाने होंगे। इससे अभ्यर्थियों को एक निष्पक्ष अवसर मिलेगा और नौकरी के लिए सही चयन हो सकेगा।
इस मामले ने बीपीएससी परीक्षा प्रणाली की पारदर्शिता और विश्वसनीयता को एक चुनौती दी है। यदि इस मामले में पुनः परीक्षा का आदेश मिलता है, तो यह बिहार में भविष्य की परीक्षाओं के संचालन पर भी प्रभाव डालेगा। यह समय की आवश्यकता है कि बीपीएससी को अपनी परीक्षा प्रक्रिया को और भी अधिक पारदर्शी और कठोर बनाना चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसे विवादों की पुनरावृत्ति न हो।
अभ्यर्थियों की चिंता शासन और कार्यवाही में सुधार के प्रति है, और यह अपेक्षित है कि बिहार सरकार और बीपीएससी इस पर कड़ी नजर रखते हुए परीक्षा प्रणाली में सुधार करें।
70वीं बीपीएससी पीटी परीक्षा से जुड़ी यह कानूनी लड़ाई बिहार के सरकारी नौकरियों के चयन प्रक्रिया की पारदर्शिता के लिए एक महत्वपूर्ण पल साबित हो सकती है। पटना हाईकोर्ट द्वारा जल्द से जल्द न्यायिक फैसला दिया जाना चाहिए, ताकि इस मुद्दे का हल निकाला जा सके और बीपीएससी अभ्यर्थियों को एक न्यायपूर्ण और निष्पक्ष मौका मिले।
बीपीएससी और बिहार सरकार को इस मामले को गंभीरता से लेते हुए परीक्षा के संचालन में सुधार की दिशा में काम करना चाहिए। केवल तभी परीक्षाओं में उम्मीदवारों का विश्वास और बिहार सरकार की नौकरी चयन प्रक्रिया की प्रतिष्ठा सुरक्षित रह सकती है।
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