KKN गुरुग्राम डेस्क | बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 12 मई 2025 को बुद्ध जयंती के पावन अवसर पर पटना स्थित बुद्ध स्मृति पार्क में आयोजित एक विशेष समारोह में भाग लिया। इस दौरान उन्होंने भगवान बुद्ध की प्रतिमा, बोधिवृक्ष, और अन्य पवित्र वृक्षों की पूजा अर्चना कर विश्व शांति, सामाजिक समरसता और राज्य की समृद्धि के लिए कामना की।
यह कार्यक्रम बौद्ध परंपरा, आध्यात्मिक चेतना और बिहार की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने की दिशा में एक प्रेरणादायक पहल रहा।
बुद्ध स्मृति पार्क में आयोजित इस विशेष पूजा समारोह की शुरुआत बौद्ध भिक्षुओं की अगुवाई में हुई। भंते द्वारा नीतीश कुमार को भगवान बुद्ध की प्रतिमा, बोधगया के पवित्र बोधिवृक्ष, आनंद बोधिवृक्ष, और लंका के अनुराधापुरम से लाए गए वृक्ष की पूजा करवाई गई।
इसके बाद मुख्यमंत्री ने पार्क के भीतर स्थित पाटलिपुत्र करुणा स्तूप में विराजमान भगवान बुद्ध की पवित्र अस्थियों के समक्ष पूजा अर्चना की, परिक्रमा की और ध्यान भी किया।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कार्यक्रम के दौरान बौद्ध भिक्षुओं के साथ ध्यान में भी भाग लिया। उन्होंने कहा कि भगवान बुद्ध का जीवन और उपदेश आज के समाज के लिए अत्यंत प्रासंगिक हैं।
“आज की दुनिया को भगवान बुद्ध के शांति, करुणा और धैर्य के मार्ग की सबसे अधिक आवश्यकता है। उनके विचार ही समाज में स्थायित्व और संतुलन ला सकते हैं।”
मुख्यमंत्री ने राज्य और देश में अमन-चैन, समृद्धि और सामाजिक एकता की कामना करते हुए ध्यान किया।
बुद्ध स्मृति पार्क में स्थित विपश्यना ध्यान केंद्र का भी मुख्यमंत्री ने दौरा किया। इस केंद्र में उन्होंने ध्यान अभ्यास किया और वहां उपलब्ध सुविधाओं एवं संचालन की जानकारी भी ली।
विपश्यना केंद्र के अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को बताया कि किस तरह से यहां देश-विदेश से लोग आकर मौन साधना और आत्म-शुद्धि के लिए आते हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री का धन्यवाद करते हुए कहा कि राज्य सरकार की मदद से यह केंद्र निरंतर विकसित हो रहा है।
इस अवसर पर बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि भगवान बुद्ध को सनातन धर्म में विष्णु का अवतार माना गया है और उनका उपदेश “बुद्धं शरणं गच्छामि” आज भी मानवता के लिए मार्गदर्शक है।
“आज पूरी दुनिया को शांति की आवश्यकता है और कुछ असुर प्रवृत्तियों वाले लोग समाज में विघटन फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में बुद्ध का मार्ग ही एकमात्र समाधान है।”
पटना का बुद्ध स्मृति पार्क आज बिहार की बौद्ध सांस्कृतिक धरोहर का प्रमुख केंद्र बन चुका है। इसका निर्माण भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण के 2600 वर्ष पूरे होने पर कराया गया था।
पाटलिपुत्र करुणा स्तूप: जहां भगवान बुद्ध की अस्थियां संरक्षित हैं।
बोधिवृक्ष के पौधे: बोधगया, श्रीलंका और आनंद बोधि वृक्षों से लाए गए।
विपश्यना केंद्र: ध्यान साधना और आत्मविकास का स्थान।
संग्रहालय और पुस्तकालय: जहां बौद्ध ग्रंथ और शिल्प संरक्षित हैं।
यह पार्क हर वर्ष बुद्ध जयंती के अवसर पर देश-विदेश के श्रद्धालुओं और पर्यटकों का केंद्र बन जाता है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का यह कार्यक्रम केवल एक औपचारिक पूजा नहीं, बल्कि यह संदेश देता है कि राजनीति और आध्यात्मिक मूल्यों के बीच संतुलन बनाना आज के समय की सबसे बड़ी ज़रूरत है।
बिहार, जो कभी बुद्ध की तपोभूमि और ज्ञानभूमि रहा है, आज भी उनके विचारों को जीवित रखने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
बुद्ध जयंती 2025 पर आयोजित यह विशेष कार्यक्रम न केवल बिहार की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत को उजागर करता है, बल्कि यह समाज को यह भी संदेश देता है कि विकास के साथ-साथ आध्यात्मिक जागरूकता भी जरूरी है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा की उपस्थिति और विचारों ने यह स्पष्ट कर दिया कि भगवान बुद्ध के उपदेश आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने वे 2500 वर्ष पूर्व थे।
This post was published on मई 12, 2025 18:02
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