बिहार के मुजफ्फरपुर में इस वक्त आध्यात्मिकता की गूंज सुनाई दे रही है। शहर में चल रहे श्री श्री 1008 विष्णु महायज्ञ के आयोजन ने न सिर्फ धार्मिक माहौल बनाया है, बल्कि अनिरुद्धाचार्य जी महाराज की उपस्थिति ने इसे और खास बना दिया है।
पांच दिन तक चलने वाली श्रीमद्भागवत कथा के पहले ही दिन अनिरुद्धाचार्य जी ने वो बात कह दी, जो आज देशभर में चर्चा का विषय बन चुकी है। उन्होंने कहा – “अब समय आ गया है कि भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित किया जाए।”
अनिरुद्धाचार्य जी कोई आम संत नहीं हैं। उनके प्रवचनों में भक्ति तो होती ही है, साथ ही समाज को जगाने वाला संदेश भी छिपा होता है। जब उन्होंने कथा में महाभारत की घटना का ज़िक्र किया—जहां द्रौपदी भगवान श्रीकृष्ण को पुकारती है—तो उन्होंने बेहद सहज ढंग से एक बड़ी बात कह दी:
“जब संकट आता है, तो न रिश्तेदार साथ होते हैं, न मित्र। उस समय बस भगवान ही साथ होते हैं।”
उनकी इस बात पर पंडाल में बैठे हजारों लोग भावुक हो गए।
अपनी कथा के दौरान उन्होंने साफ तौर पर कहा कि भारत की आत्मा सनातन धर्म में बसती है, और अब समय है कि इसे एक हिंदू राष्ट्र का दर्जा दिया जाए। उनके शब्दों में:
“यह देश शुरू से सनातन संस्कृति का वाहक रहा है। अब जब देश जागरूक हो चुका है, तो इसे आधिकारिक रूप से हिंदू राष्ट्र बनाना चाहिए।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि इसका मतलब यह नहीं कि किसी और धर्म का अपमान हो, बल्कि यह देश की संस्कृति और मूल्यों की रक्षा के लिए ज़रूरी है।
अनिरुद्धाचार्य जी जहां भी जाते हैं, वहां की खासियत को पहचानते हैं। इस बार उन्होंने मुजफ्फरपुर की मशहूर शाही लीची की तारीफ की। उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा:
“जितनी मिठास इन लीचियों में है, उतनी ही मिठास इस धरती के लोगों में भी है।”
उनकी इस टिप्पणी से स्थानीय लोग बेहद खुश दिखे।
इस महायज्ञ का आयोजन मुजफ्फरपुर सेवा संस्थान की ओर से किया गया है। कथा शुरू होने से पहले एक भव्य कलश यात्रा निकाली गई, जिसमें महिलाओं की बड़ी भागीदारी रही। सिर पर कलश लिए महिलाएं भक्ति में लीन थीं और पूरा शहर भक्तिरस में डूबा हुआ था।
हर दिन:
श्रीमद्भागवत कथा होती है
सुंदर भजनों की प्रस्तुति होती है
भंडारे में हज़ारों लोग भोजन करते हैं
और सबके लिए सुरक्षा और सुविधा का खास ख्याल रखा गया है
कथा सिर्फ पूजा और भजन तक सीमित नहीं रही। अनिरुद्धाचार्य जी ने कई बार लोगों से कहा कि आज के दौर में अगर हमें समाज को बेहतर बनाना है, तो पहले अपने नैतिक मूल्यों को मज़बूत करना होगा।
उन्होंने एक बात बार-बार दोहराई:
“सच्चा धर्म वही है जो कर्म में हो। जब हम सच्चाई, ईमानदारी और करुणा के रास्ते पर चलते हैं, तब ही धर्म जीवित रहता है।”
अनिरुद्धाचार्य जी के इस बयान ने सोशल मीडिया पर भी खूब सुर्खियां बटोरी हैं। ट्विटर से लेकर इंस्टाग्राम तक, लोग उनकी हिंदू राष्ट्र वाली टिप्पणी पर चर्चा कर रहे हैं। कुछ इसे समर्थन दे रहे हैं, तो कुछ सवाल भी उठा रहे हैं—लेकिन एक बात तो तय है, उन्होंने मुद्दा ज़रूर जगा दिया है।
This post was published on मई 26, 2025 20:18
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