बिहार के मुजफ्फरपुर से एक दर्दनाक खबर सामने आई है। यहां एक निजी अस्पताल में कार्यरत युवा डॉक्टर आशुतोष चंद्रा (25) ने शुक्रवार की शाम अपने पिता की लाइसेंसी दोनाली बंदूक से सिर में गोली मारकर आत्महत्या कर ली। यह घटना काजीमोहम्मदपुर थाना क्षेत्र के जैतपुर इस्टेट कॉलोनी की है। पुलिस और एफएसएल की टीम मौके पर पहुंची और जांच के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। देर रात शव को परिजनों को सौंप दिया गया।
स्टडी रूम में हुई घटना
पुलिस के अनुसार घटना करीब 7:15 बजे हुई। ड्यूटी से लौटकर आशुतोष ने पहले अपनी मां और दादी के साथ नाश्ता किया। इसके बाद वह घर की तीसरी मंजिल पर बने स्टडी रूम में पढ़ाई करने चले गए। थोड़ी ही देर बाद अचानक गोली चलने की आवाज आई। जब परिजन वहां पहुंचे तो देखा कि आशुतोष का शव फर्श पर पड़ा है और बेड पर बंदूक रखी हुई थी। कमरे में खून बिखरा हुआ था। किताबें और टैब खुले पड़े थे जबकि मोबाइल पर लगातार कॉल आ रही थी।
परिवार और पढ़ाई का सफर
आशुतोष मूल रूप से हरिशंकर मनियारी के रहने वाले थे। उनके पिता अविनाश चंद्रा कांटी और दीघरा में पेट्रोल पंप के मालिक हैं। आशुतोष अविवाहित थे और घर में इकलौते बेटे थे। उनकी दो बहनें हैं, जिनमें से एक की शादी हो चुकी है जबकि दूसरी बहन भी डॉक्टर है।
उन्होंने आगरा के मेडिकल कॉलेज से MBBS की पढ़ाई पूरी की थी। महज एक हफ्ते पहले ही उनकी नियुक्ति जूरन छपरा रोड स्थित एक निजी हॉस्पिटल में हुई थी। यह उनकी पहली नौकरी थी।
PG परीक्षा में असफलता से तनाव
सूत्रों के अनुसार आठ-दस दिन पहले ही पीजी का रिजल्ट आया था जिसमें आशुतोष सफल नहीं हो पाए थे। इसी असफलता से वह गहरे तनाव में थे। परिजनों का कहना है कि रिजल्ट आने के बाद से उनका व्यवहार बदल गया था और वे ज्यादा बातचीत भी नहीं करते थे। ASP नगर सुरेश कुमार ने बताया कि प्रारंभिक जांच में मामला तनाव के कारण आत्महत्या का प्रतीत होता है।
मौके से नहीं मिला सुसाइड नोट
पुलिस टीम को स्टडी रूम से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला। हालांकि, एफएसएल टीम ने घटनास्थल से बंदूक, टैब और मोबाइल फोन जब्त कर जांच शुरू कर दी है। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि चुनाव को देखते हुए शनिवार को बंदूक की जांच के लिए थाने ले जाई जानी थी, लेकिन इससे पहले ही यह घटना हो गई।
अंतिम क्षण और परिवार की स्थिति
परिजनों ने बताया कि शुक्रवार को ड्यूटी से लौटने के बाद आशुतोष सामान्य दिख रहे थे। दादी और मां के साथ बैठकर उन्होंने हल्का नाश्ता किया और फिर ऊपर चले गए। कुछ ही देर बाद गोली की आवाज से घर में अफरा-तफरी मच गई। उस समय उनके पिता पेट्रोल पंप पर थे।
यह हादसा पूरे परिवार के लिए गहरा सदमा बनकर आया। पड़ोसी और रिश्तेदारों ने आशुतोष को एक होनहार और विनम्र युवक बताया।
मानसिक स्वास्थ्य पर सवाल
इस घटना ने एक बार फिर मेडिकल छात्रों और डॉक्टरों पर बढ़ते तनाव की ओर ध्यान खींचा है। कठोर प्रतियोगी परीक्षाएं, रिजल्ट का दबाव और करियर को लेकर चिंता अक्सर युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर भारी पड़ती है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे मामलों को रोकने के लिए मानसिक स्वास्थ्य पर खुलकर चर्चा और काउंसलिंग की व्यवस्था होनी चाहिए।
पुलिस की जांच
काजीमोहम्मदपुर थाना पुलिस ने इसे असामान्य मृत्यु का मामला दर्ज किया है। जांच अधिकारी का कहना है कि अबतक की जानकारी के अनुसार गोली खुद से चलाई गई है। फॉरेंसिक रिपोर्ट से मामले की पुष्टि होगी। वहीं, इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसों की जांच से यह भी पता लगाया जाएगा कि आशुतोष किन हालातों से गुजर रहे थे।
मुजफ्फरपुर में डॉक्टर आशुतोष चंद्रा की आत्महत्या ने एक होनहार करियर को समय से पहले खत्म कर दिया। पहली नौकरी शुरू करने वाले इस युवा डॉक्टर ने पीजी परीक्षा में असफलता और तनाव के कारण अपनी जान गंवा दी।
यह मामला न केवल परिवार और समाज के लिए गहरा आघात है बल्कि यह संकेत भी है कि हमें युवा डॉक्टरों और छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर और गंभीर होना होगा। जरूरत इस बात की है कि परिवार, संस्थान और सरकार मिलकर ऐसे हालात को रोकने की दिशा में कदम उठाएं।
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