कोरोना
KKN न्यूज ब्यूरो। बिहार सरकार ने कोरोना वायरस को महामारी घोषित कर दिया है। राज्य सरकार ने स्वास्थ्य विभाग की अनुशंसा पर बिहार में एपिडेमिक डिजीज, कोविड-19, नियमावली 2020 को तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया। इस संबंध में राजकीय गजट के माध्यम से अधिसूचना जारी की गयी। इसके तहत बिहार में प्रशासन को असीमित अधिकार मिल गया है। इसके लागू होने से सरकार किसी भी संदिग्ध व्यक्ति में कोरोना वायरस के लक्षण पाए जाने पर उसकी जांच करा सकती है और उसे बलपूर्वक आइसोलेशन वार्ड में भर्ती करा सकती है।
संदिग्ध व्यक्ति जांच या इलाज से इंकार करेगा उसके खिलाफ भारतीय दंड विधान की धारा – 188 के तहत कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। कार्रवाई करने का अधिकार स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव एवं संबंधित जिला के जिलाधिकारी को सौंपा गया है। कोरोना वायरस को महामारी घोषित करने का उद्देश्य इसके संक्रमण के प्रसार को रोकना और महामारी कानून के पालन नहीं करने वाले पर व्यापक समाजहित में कार्रवाई करना है।
बिहार में पहली बार कोई बीमारी महामारी घोषित की गयी है। दरअसल 128 वर्ष पुराने केंद्रीय कानून द ऐपिडिमिक डिजीज एक्ट, 1897 के तहत बिहार सरकार ने पहली बार कोविड -19 को महामारी के रूप में घोषित किया है। राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक मनोज कुमार ने कहा कि हमने इसके पूर्व बिहार में किसी खास बीमारी को महामारी घोषित होते हुए नहीं सुना है। बिहार सरकार ने कोरोना वायरस के संक्रमण के विस्तार को रोकने के लिए यह निर्णय लिया है।
बिहार में कोरोना वायरस को लेकर गलत नियत से मीडिया या सोशल मीडिया के माध्यम से अफवाह फैलाने वाले किसी भी व्यक्ति, संस्थान या संगठन पर कार्रवाई की जा सकती है। इसलिए लोगों को सलाह दी गयी है कि वे ऐसे किसी कार्य में शामिल न हों अन्यथा उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
इस कानून के तहत बिहार में स्थित किसी भी निजी लैब को कोरोना वायरस की जांच का अधिकार नहीं दिया गया है। किसी भी संक्रमित व्यक्ति के जांच सैंपल को सिविल सर्जन द्वारा अधिकृत नोडल अधिकारी द्वारा एकत्र किया जाएगा और इसकी जानकारी संबंधित जिले के सहायक जिला सिविल सर्जन को तत्काल देनी होगी। वहीं, 29 फरवरी, 2020 के बाद कोरोना प्रभावित देशों की यात्रा से लौटने वाले किसी भी व्यक्ति द्वारा जांच के लिए सीधे टॉल फ्री नंबर- 104 से जानकारी हासिल कर सकतें हैं।
इस कानून के तहत जिलाधिकारी को अधिकार दिया गया है कि वे किसी भी गांव, प्रखंड, सिटी, वार्ड, कॉलोनी या किसी भी भौगोलिक क्षेत्र में कोरोना वायरस के मरीज की सूचना मिलने पर तत्काल कार्रवाई कर सकते है। वे उन क्षेत्रों में स्थित स्कूल, कार्यालय को बंद कर सकते है और भीड़ के एकत्र होने पर रोक लगा सकते हैं। वाहनों के परिचालन पर भी रोक लगा सकते हैं। सभी संदिग्ध मरीजों को अस्पताल में आइसोलेशन के लिए भर्ती किया जा सकता है।
This post was published on मार्च 17, 2020 20:29
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