KKN गुरुग्राम डेस्क | जहां एक ओर देश के कई राज्य भीषण गर्मी और लू की चपेट में हैं, वहीं बिहार का मौसम इन दिनों अप्रत्याशित बदलाव के दौर से गुजर रहा है। बीते दो दिनों में राज्य के कई हिस्सों में मूसलधार बारिश हुई है, जिससे राजधानी पटना में 80 साल पुराना रिकॉर्ड टूट गया है।
मौसम विभाग, पटना के निदेशक आशीष कुमार के अनुसार, बंगाल की खाड़ी से आ रही नमी, ट्रफ रेखा का प्रभाव और पश्चिमी विक्षोभ की वजह से प्रदेश में गरज और बिजली के साथ बारिश हो रही है।
पटना में 11 अप्रैल 2025 को 42.6 मिमी वर्षा दर्ज की गई, जो कि अप्रैल महीने में 1946 के बाद की सबसे अधिक एकदिनी बारिश है। इससे पहले अप्रैल में सबसे ज्यादा बारिश 1983 में 16 अप्रैल को 34 मिमी दर्ज की गई थी।
यह आंकड़ा स्पष्ट रूप से बताता है कि बिहार में मौसम चक्र तेजी से बदल रहा है और इसका सीधा असर कृषि और आम जनजीवन पर पड़ रहा है।
बिहार में इस समय जो अप्रत्याशित बारिश और ठंडक देखी जा रही है, उसके पीछे कई कारण हैं:
बंगाल की खाड़ी से आ रही नमी युक्त हवाएं
उत्तर भारत से गुजर रही ट्रफ रेखा
हिमालयी क्षेत्रों में सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ
स्थानीय स्तर पर बन रहे कन्वेक्टिव क्लाउड्स
इन सभी कारकों के चलते प्रदेश में तेज हवाएं, गरज के साथ बारिश और बिजली गिरने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं।
पटना सहित बिहार के कई शहरों में अप्रैल महीने में अब तक अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस को नहीं छू पाया है। इस वर्ष सबसे गर्म दिन 6 अप्रैल रहा, जब तापमान 39.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ। जबकि रिकॉर्ड के अनुसार अप्रैल का सबसे गर्म दिन 29 अप्रैल 1980 को था, जब तापमान 44.6 डिग्री सेल्सियस था।
इससे यह साफ होता है कि इस वर्ष अप्रैल में गर्मी की तीव्रता में स्पष्ट गिरावट देखी जा रही है।
बिहार के विभिन्न जिलों—गया, नालंदा, भागलपुर, मुजफ्फरपुर, और पटना—में पिछले कुछ दिनों से लगातार बिजली गिरने और तेज हवाओं की घटनाएं हो रही हैं। मौसम विभाग ने कई जिलों में पीला अलर्ट (Yellow Alert) जारी किया है और लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी है।
इन घटनाओं के कारण जान-माल की हानि की आशंका बनी हुई है। आपदा प्रबंधन विभाग ने ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को बिजली गिरने से सुरक्षा हेतु सावधान किया है।
अप्रैल महीने में इस तरह की बारिश ने किसानों की परेशानी बढ़ा दी है। अधिकांश जगहों पर रबी फसल जैसे गेहूं, चना, मसूर आदि की कटाई हो चुकी है और उन्हें खुले खेतों में रखा गया था। लगातार बारिश ने इन कटे हुए फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया है।
अरविंद सिंह, सहायक निदेशक, जैव नियंत्रण प्रयोगशाला, पटना ने बताया:
“खेतों में जो फसल खड़ी है, उसे उतना नुकसान नहीं हुआ है। लेकिन जो फसल कटकर खेतों में पड़ी थी, वह बारिश में भीग गई है, जिससे गुणवत्ता और उपज दोनों पर असर पड़ा है।“
बिहार के नालंदा, भोजपुर, वैशाली और बक्सर जैसे कृषि प्रधान जिलों से किसानों ने बताया कि बारिश ने उनकी कई महीनों की मेहनत को बर्बाद कर दिया है। कटाई के बाद फसल को बेचने से पहले भंडारण की व्यवस्था नहीं होने के कारण खुली धूप और बारिश दोनों से फसल खराब हो जाती है।
नालंदा जिले के किसान रामनिवास यादव ने कहा:
“सारा गेहूं काट कर रख दिया था, बस मंडी ले जाने की तैयारी थी। अब सारा भीग गया है, न सरकार से कोई मदद मिलती है, न नुकसान की भरपाई होती है।”
बिहार में मौसम का यह असामान्य मिजाज जलवायु परिवर्तन की ओर इशारा करता है। विशेषज्ञों का मानना है कि पिछले कुछ वर्षों में राज्य में निम्नलिखित बदलाव देखे गए हैं:
अप्रैल और फरवरी जैसे महीनों में अवसामान्य बारिश
मानसून का देरी से आना या जल्दी आना
ओलावृष्टि और बिजली गिरने की घटनाओं में वृद्धि
लंबे सूखे के बाद अचानक तेज बारिश
ये सभी बदलाव राज्य की कृषि व्यवस्था, सिंचाई योजनाओं, और आपदा प्रबंधन को गंभीर चुनौती दे रहे हैं।
राज्य सरकार और आपदा प्रबंधन विभाग ने किसानों और आम नागरिकों को सलाह दी है:
फसल को बारिश से बचाने के लिए कवर या टेंट की व्यवस्था करें।
मौसम ऐप और पूर्वानुमान पर लगातार नजर रखें।
बिजली गिरने की स्थिति में खुले मैदान, पेड़ या जल स्रोत से दूर रहें।
आपदा राहत के लिए सरकार द्वारा जल्द ही मुआवजा योजना का ऐलान किया जा सकता है।
मौसम विभाग के अनुसार, आने वाले 3–4 दिनों तक राज्य में गरज, चमक और बारिश की गतिविधियां बनी रहेंगी। 18 अप्रैल के बाद मौसम साफ हो सकता है और तापमान में धीरे-धीरे बढ़ोतरी होगी।
तारीख | बारिश की संभावना | अधिकतम तापमान | स्थिति |
---|---|---|---|
15 अप्रैल | 70% | 36°C | गरज के साथ बारिश |
16 अप्रैल | 60% | 37°C | हल्की बारिश संभव |
17 अप्रैल | 40% | 38°C | आंशिक रूप से बादल |
18 अप्रैल | 20% | 39°C | मौसम साफ, धूप |
19 अप्रैल | 10% | 41°C | गर्मी में बढ़ोतरी |
बिहार में अप्रैल महीने की यह बारिश जहां जलवायु परिवर्तन का संकेत है, वहीं यह किसानों के लिए भारी नुकसान का कारण बन रही है। सरकार और नागरिकों को मिलकर समय रहते सही कदम उठाने होंगे, ताकि भविष्य में ऐसे मौसमी झटकों का सामना बेहतर तरीके से किया जा सके।
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