अगस्त 2025 में बिहार की राजनीति बेहद गर्म होती नज़र आ रही है। विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने Voter Rights Yatra शुरू कर दी है, जो विपक्षी गठबंधन इंडिया ब्लॉक को नई ऊर्जा देने की कोशिश कर रही है। दूसरी ओर, चुनाव आयोग ने राहुल गांधी के आरोपों पर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कड़ा जवाब दिया है। साथ ही जन सुराज आंदोलन के सूत्रधार प्रशांत किशोर भी लगातार अपने अभियान से बड़ी चुनौती पेश कर रहे हैं। इसी बीच STET अभ्यर्थियों ने पटना में Maha Andolan का ऐलान कर दिया है, जबकि राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के हड़ताली कर्मियों ने सरकार की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।
राहुल गांधी की Voter Rights Yatra का आगाज़ सासाराम से हुआ है। महागठबंधन के सभी बड़े दल इस यात्रा के साथ हैं और मंच पर एकजुटता का संदेश दिया गया। यह यात्रा 16 दिन की होगी और 23 जिलों से गुजरते हुए करीब 1300 किलोमीटर लंबी होगी।
यात्रा का समापन 1 सितंबर को पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में होगा। माना जा रहा है कि इस रैली से इंडिया ब्लॉक विधानसभा चुनाव की औपचारिक तैयारी शुरू करेगा। राहुल गांधी ने पहले भी भारत जोड़ो यात्रा से कश्मीर से कन्याकुमारी तक पदयात्रा की थी। इस बार वह बिहार को फोकस कर रहे हैं।
सासाराम की सभा ने इंडिया ब्लॉक की एकजुटता का परिचय दिया। पप्पू यादव मंच पर मौजूद रहे और लालू प्रसाद यादव से आशीर्वाद भी लिया। यह तस्वीरें सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुईं।
लोकसभा चुनावों में शाहाबाद क्षेत्र ने NDA को करारा झटका दिया था और कई सीटें विपक्ष की झोली में गई थीं। अब विपक्ष इस यात्रा से माहौल बनाने की कोशिश कर रहा है ताकि विधानसभा चुनावों में भी वैसा ही असर दिख सके।
राहुल गांधी ने आरोप लगाया था कि चुनाव आयोग ने मतदाता सूची में बड़ी गड़बड़ी की है और लाखों नाम काटे गए हैं। इसी मुद्दे पर चुनाव आयोग ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर साफ कहा कि जो डाटा राहुल गांधी दिखा रहे हैं, वह उनका आधिकारिक डाटा नहीं है।
आयोग ने राहुल गांधी से सात दिन के भीतर हलफनामा देने को कहा है। चेतावनी दी गई है कि यदि सबूत नहीं दिया गया तो इन आरोपों को niradhar माना जाएगा।
इस प्रेस कॉन्फ्रेंस का समय भी चर्चा में रहा क्योंकि यह ठीक उसी दिन हुआ जब राहुल गांधी की सभा सासाराम में चल रही थी। विपक्ष इसे सत्ता पक्ष की घबराहट बता रहा है, जबकि चुनाव आयोग खुद को निष्पक्ष कह रहा है।
अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि राहुल गांधी क्या करेंगे। क्या वह हलफनामा देंगे या माफी मांगने की नौबत आएगी?
राहुल गांधी का कहना है कि वह संविधान बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। वहीं चुनाव आयोग का कहना है कि बेबुनियाद आरोपों से बचना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने भी आयोग को पारदर्शिता बरतने का आदेश दिया है। अब देखना है कि यह टकराव कितना आगे जाता है।
राहुल गांधी की यात्रा के समानांतर प्रशांत किशोर का Jan Suraaj Movement भी लगातार सुर्खियों में है। साहसा और सुपौल में उनकी रैलियों में भारी भीड़ जुटी।
प्रशांत किशोर शिक्षा, रोजगार और पलायन जैसे मुद्दों को फोकस कर रहे हैं। उनका चुनाव चिन्ह स्कूल बैग है, जिससे वह बच्चों और युवाओं के भविष्य को जोड़ रहे हैं।
हाल ही में उन्होंने अल्पसंख्यकों से संवाद किया और Parivarik Labh Card जैसी योजना की घोषणा की। इससे स्पष्ट है कि वह सिर्फ वोटकटवा भूमिका नहीं निभा रहे, बल्कि NDA और इंडिया ब्लॉक दोनों को चुनौती दे रहे हैं।
18 अगस्त को एक बार फिर पटना की सड़कों पर STET उम्मीदवार उतरने वाले हैं। उनकी मुख्य मांग है कि BPSC TRE-4 परीक्षा से पहले STET परीक्षा कराई जाए।
7 अगस्त को हुए आंदोलन के बाद अब इस Maha Andolan में ज्यादा भीड़ की उम्मीद है। पुलिस और प्रशासन अलर्ट मोड पर हैं क्योंकि धक्का-मुक्की की स्थिति भी बन सकती है।
सरकार के लिए यह एक बड़ी चुनौती है। चुनावी मौसम में युवाओं की मांग को नजरअंदाज करना NDA के लिए भारी पड़ सकता है।
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने Ghar Ghar Abhiyan शुरू किया था, जिसके तहत घर-घर पहुंच कर भूमि अभिलेखों का डिजिटलीकरण किया जा रहा है। लेकिन इस अभियान में अड़ंगा लग गया है क्योंकि 10,000 से ज्यादा कर्मचारी हड़ताल पर हैं।
कानूनगो और अमीन स्थायी नियुक्ति और सेवा नियमितता जैसी मांगों को लेकर आंदोलनरत हैं। सरकार ने कुछ कर्मचारियों का लॉगिन बंद कर अनुशासनात्मक कार्रवाई की है। बावजूद इसके हड़ताल जारी है और विभाग का कामकाज प्रभावित हो रहा है।
बिहार में नवंबर-दिसंबर में विधानसभा चुनाव संभावित हैं और इन घटनाओं ने माहौल गरमा दिया है।
राहुल गांधी की Voter Rights Yatra विपक्षी एकजुटता का संदेश देती है।
चुनाव आयोग और गांधी के बीच टकराव ने विवाद बढ़ा दिया है।
प्रशांत किशोर अपने Jan Suraaj से नई लकीर खींच रहे हैं।
STET आंदोलन ने युवाओं की नाराजगी उजागर की है।
राजस्व विभाग की हड़ताल से प्रशासन की कमजोरी सामने आई है।
बिहार की राजनीति इस समय उबाल पर है। एक ओर राहुल गांधी की पदयात्रा विपक्षी खेमे को सक्रिय कर रही है, तो दूसरी ओर चुनाव आयोग के साथ उनका टकराव बड़ा मुद्दा बन गया है। प्रशांत किशोर का आंदोलन NDA और इंडिया दोनों के लिए चुनौती पेश कर रहा है। वहीं STET उम्मीदवारों का आंदोलन और राजस्व विभाग की हड़ताल ने सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
1 सितंबर को गांधी मैदान की रैली बिहार की राजनीति में अहम मोड़ साबित हो सकती है। अब देखना यह है कि जनता किसे अपना समर्थन देती है और बिहार का सियासी गणित किस करवट बदलता है।
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